राहूकाल / Rahukaal
हिन्दू धर्म मे ऐसा माना जाता है कि यदि आप कोई अच्छा कार्य करने जा रहे है तो उससे पहले शुभ मुहुर्त देखने की परम्परा है।
मान्यता के अनुसार यदि भूलवश कोई शुभकार्य अशुभ मुहूर्त में हो जाए तो इसका विपरीत परिणाम होता है। परन्तु ऐसा भी है कि हिंदू धर्म में राहुकाल को किसी भी शुभ कार्य के लिए अच्छा नहीं माना जाता इसी वजह से किसी शुभ कार्य को करने से पहले राहुकाल पर जरूर विचार विमर्श किया जाता है।
राहु को छाया ग्रह माना गया है। यह ग्रह अशुभ फल प्रदान करता है। इसलिए इसके आधिपत्य का जो समय रहता है, उस दौरान शुभ कार्य करना वर्जित माने गए हैं।
राहु काल को दक्षिण भारत में विशेष रूप से देखा जाता है। इसे अशुभ समय के रूप मे देखा जाता है और इसी कारण राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है।
राहु-काल इंगित करता है की यह समय अच्छा नहीं है, राहू काल में कार्यो के निष्फल होने की संभावना होती है।
राहुकाल में प्रारम्भ किये गये कार्यो में सफलता के लिये अत्यधिक प्रयास करने पडते हैं, कार्यों में बेवजह की दिक्कत आती हैं, या कार्य अधूरे ही रह जाते हैं।
कुछ लोगों का मानना हैं कि राहुकाल के समय में किये गये कार्य विपरीत व अनिष्ट प्रद फल प्रदान करते हैं।
राहु काल में किसी यात्रा का प्रारम्भ करना निषेध हैं।
इसलिये, इस समय में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाना चाहिए.
राहुकाल के दौरान अग्नि, यात्रा, किसी वस्तु का क्रय विक्रय, लिखा पढी व बहीखातों का काम नही करना चाहिये।
राहु काल की अवधि में शुभ कर्मो को यथा संभव टालने की सलाह दी जाती है।
राहु काल अलग-अलग स्थानों के लिए अलग-अलग होता है। क्योंकि सूर्य के उदय होने का समय विभिन्न स्थानों के अनुसार अलग होता है। राहु काल को राहु-कालम् नाम से भी जाना जाता है।
राहुकाल सप्ताह के सातों दिन में निश्चित समय पर लगभग ९० मिनट तक रहता है। इसे सूर्य के उदय के समय व अस्त के समय के काल को निश्चित आठ भागों में बांटने से ज्ञात किया जाता है।
साधारणतया राहुकाल का समय इस प्रकार है :-
- रविवार - सायं - ४.३० से ६.०० तक।
- सोमवार - प्रातः - ७.३० से ९.०० तक।
- मंगलवार - दिन - ३.०० से ४.३० तक।
- बुधवार - दिन - १२.०० से १.३० तक।
- गुरूवार - दिन - १.३० से ३.०० तक।
- शुक्रवार - प्रातः - १०.३० से १२.०० तक।
- शनिवार - प्रातः - ९.०० से १०.३० तक।