वास्तु - भवन का वास्तु / Bhavan ka vastu



वास्तु - भवन का वास्तु / Bhavan ka vastu


किसी भी भवन का वास्तु सबसे प्रधान होता है। 
यही तय करता है कि इस भवन में रहने वालों के क्या दशा-दिशा होगी। 
इसलिए वास्तु शास्त्र में वर्णित कुछ साधारण नियमों को मानना ही चाहिए।

वास्तु शास्त्र एक अत्यंत प्रमाणित प्राचीन विद्या है। 
लेकिन कई बार लाख सावधानी बरतने पर भी किसी भवन में कुछ वास्तु दोष रह जाते हैं। 
तो प्रस्तुत हैं वास्तु शास्त्र के मूल नियम और सावधानियां जिनका पालन कर सुख-समृद्धि से रहा जा सकता है। 


- घर के मुख्य द्वार के सामने देवी-देवताओं के मंदिर नहीं होने चाहिए, न ही घर के पीछे मंदिर की छाया पड़नी चाहिए। 


- मुख्य द्वार की चौड़ाई उसकी ऊंचाई की आधी होनी चाहिए।


- घर का मुख्य द्वार और पिछला द्वार एक सीध में कदापि नहीं होने चाहिए। मुख्य द्वार सदा साफ सुथरा रखें।


- किचन के लिए आदर्श दिशा है दक्षिण पूर्व। उत्तर या उत्तर-पूर्व में किचन बनाने से बचें। किचन समृ्द्धि का सूचक होता है। 
 इसलिए गलत दिशा में किचन का होना वित्तीय और स्वास्थ्य परेशानियों का कारण बन सकता है।

दान के शुभ फल / Daan ke shubh fal

दान के शुभ फल / Daan ke shubh fal



दान से अक्षय पुण्य प्राप्त होता है और साथ ही जाने-अनजाने में किए गए पाप कर्मों के फल भी नष्ट हो जाते हैं। 
शास्त्रों में दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस पुण्य कर्म में समाज में समानता का भाव बना रहता है और जरुरतमंद व्यक्ति को भी जीवन के लिए उपयोगी चीजें प्राप्त हो पाती है। 

यहां जानिए दान से जुड़ी ऐसी बातें, जिनका ध्यान रखने पर विशेष फल प्राप्त होते हैं...

 
*. अन्न, जल, घोड़ा, गाय, वस्त्र, शय्या, छत्र और आसन, इन 8 वस्तुओं का दान, पूरे जीवन शुभ फल प्रदान करता है। 
शास्त्रों की मान्यता है पाप और पुण्यों का फल भोगना पड़ता है।  
इन चीजों का दान जीवित एवं मृत्यु के बाद के बाद भी कष्टों को भी दूर कर सकता है।
 
*. जो व्यक्ति पत्नी, पुत्र एवं परिवार को दुःखी करते हुए दान देता है, वह दान पुण्य प्रदान नहीं करता है। दान सभी की प्रसन्नता के साथ दिया जाना चाहिए।
 
*. जरुरतमंद के घर जाकर किया हुआ दान उत्तम होता है। जरुरतमंद को घर बुलाकर दिया हुआ दान मध्यम होता है।
 
*. यदि कोई व्यक्ति गायों, ब्राह्मणों और रोगियों को दान कर रहा है तो उसे दान देने से रोकना नहीं चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति पाप का भागी होता है।
 
*. तिल, कुश, जल और चावल, इन चीजों को हाथ में लेकर दान देना चाहिए। अन्यथा वह दान व्यर्थ हो जाता है।

*. दान देने वाले का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए और दान लेने वाले का मुख उत्तर दिशा की ओर होना चाहिए। ऐसा करने से दान देने वाले की आयु बढ़ती है और दान लेने वाले की भी आयु कम नहीं होती है।
 
*. पितर देवता को तिल के साथ तथा देवताओं को चावल के साथ दान देना चाहिए।
 
*. मनुष्य को अपने द्वारा न्यायपूर्वक अर्जित किए हुए धन का दसवां भाग किसी शुभ कर्म में लगाना चाहिए। शुभ कर्म जैसे गौशाला में दान करना, किसी जरुरतमंद व्यक्ति को खाना खिलाना, गरीब बच्चों की शिक्षा का प्रबंध करना आदि।
 
*. गाय, घर, वस्त्र, शय्या तथा कन्या, इनका दान एक ही व्यक्ति को करना चाहिए।

*. गोदान श्रेष्ठ माना गया है। यदि आप गोदान नहीं कर सकते हैं तो किसी रोगी की सेवा करना, देवताओं का पूजन, ब्राह्मण और ज्ञानी लोगों के पैर धोना, ये तीनों कर्म भी गोदान के समान पुण्य देने वाले कर्म हैं।
 
*. दीन-हीन, अंधे, निर्धन, अनाथ, गूंगे, विकलांगों तथा रोगी मनुष्य की सेवा के लिए जो धन दिया जाता है, उसका महान पुण्य प्राप्त होता है।
 
*. जो ब्राह्मण विद्याहीन हैं, उन्हें दान ग्रहण नहीं करना चाहिए। विद्याहीन ब्राह्मण दान ग्रहण करता है तो उसे हानि हो सकती है।
 
*. गाय, सोना (स्वर्ण), चांदी, रत्न, विद्या, तिल, कन्या, हाथी, घोड़ा, शय्या, वस्त्र, भूमि, अन्न, दूध, छत्र तथा आवश्यक सामग्री सहित घर, इन 16 वस्तुओं के दान को महादान माना गया है। इनके दान से अक्षय पुण्य के साथ ही कई जन्मों के पाप भी नष्ट हो जाते हैं।

मान्यताओं का वैज्ञानिक पक्ष / Manyataao ka vaigyanik paksh

मान्यताओं का वैज्ञानिक पक्ष / Manyataao ka vaigyanik paksh

डिस्कवरी पर जेनेटिक बीमारियों से सम्बन्धित एक ज्ञानवर्धक कार्यक्रम था उस प्रोग्राम में एक अमेरिकी वैज्ञानिक ने कहा की जेनेटिक बीमारी न हो इसका एक ही इलाज है और वो है "सेपरेशन ऑफ़ जींस", मतलब अपने नजदीकी रिश्तेदारो में विवाह नही करना चाहिए क्योकि नजदीकी रिश्तेदारों में जींस सेपरेट (विभाजन) नही हो पाता और जींस लिंकेज्ड बीमारियाँ जैसे हिमोफिलिया, कलर ब्लाईंडनेस, और एल्बोनिज्म होने की 100% चांस होती है ..

 "हिन्दूधर्म" में हजारों-हजारों सालों पहले जींस और डीएनए के बारे में कैसे लिखा गया है..

 हिंदुत्व में गोत्र होते है और एक गोत्र के लोग आपस में शादी नही कर सकते  ताकि जींस सेपरेट (विभाजित) रहे..

 "हिन्दूधर्म ही" विश्व का एकमात्र ऐसा धर्म है जो "विज्ञान पर आधारित" है ! हिंदू परम्पराओं से जुड़े ये वैज्ञानिक तर्क:

~~~~~~~~~~~~~~~

1.    * कान छिदवाने की परम्परा: भारत में लगभग सभी धर्मों में कान छिदवाने की परम्परा है।
 

~ वैज्ञानिक तर्क- दर्शनशास्त्री मानते हैं कि इससे सोचने की शक्त‍ि बढ़ती है। जबकि डॉक्टरों का मानना है कि इससे बोली अच्छी होती है और कानों से होकर दिमाग तक जाने वाली नस का  रक्त संचार नियंत्रित रहता है।

~~~~~~~~~~~~~~~

* माथे पर कुमकुम/तिलक महिलाएं एवं पुरुष माथे पर कुमकुम या तिलक लगाते हैं |


~ वैज्ञानिक तर्क- आंखों के बीच में माथे तक एक नस जाती है। कुमकुम या तिलक लगाने से उस जगह की ऊर्जा बनी रहती है। माथे पर तिलक लगाते वक्त जब अंगूठे या उंगली से प्रेशर पड़ता है, तब चेहरे की त्वचा को रक्त सप्लाई करने वाली मांसपेशी सक्रिय हो जाती है। इससे चेहरे की कोश‍िकाओं तक अच्छी तरह रक्त पहुंचता |

~~~~~~~~~~~~~~~

* जमीन पर बैठकर भोजन भारतीय संस्कृति के अनुसार जमीन पर बैठकर भोजन करना अच्छी बात होती है |


~ वैज्ञानिक तर्क- पालती मारकर बैठना एक प्रकार का योग आसन है। इस पोजीशन में बैठने से मस्त‍िष्क शांत रहता है और भोजन करते वक्त अगर दिमाग शांत हो तो  पाचन क्रिया अच्छी रहती है। इस पोजीशन में बैठते ही खुद-ब-खुद दिमाग से 1 सिगनल पेट तक जाता है, कि वह भोजन के लिये तैयार हो जाये |


~~~~~~~~~~~~~~~

* हाथ जोड़कर नमस्ते करना जब किसी से मिलते हैं तो हाथ जोड़कर नमस्ते अथवा नमस्कार करते हैं ।


~ वैज्ञानिक तर्क- जब सभी उंगलियों के शीर्ष एक दूसरे के संपर्क में आते हैं और उन पर दबाव पड़ता है। एक्यूप्रेशर के कारण उसका सीधा असर हमारी आंखों, कानों और दिमाग पर होता है, ताकि सामने वाले व्यक्त‍ि को हम लंबे समय तक याद रख सकें। दूसरा तर्क यह कि हाथ मिलाने (पश्च‍िमी सभ्यता) के बजाये अगर आप नमस्ते करते हैं  तो सामने वाले के शरीर के कीटाणु आप तक नहीं पहुंच सकते। अगर सामने वाले को स्वाइन फ्लू भी है तो भी वह वायरस आप तक नहीं पहुंचेगा।

~~~~~~~~~~~~~~~

* भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है।


~ वैज्ञानिक तर्क- तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं इससे पाचन तंत्र ठीक से संचालित होता है अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है इससे पेट में जलन नहीं होती है |


~~~~~~~~~~~~~~~

* पीपल की पूजा: तमाम लोग सोचते हैं कि पीपल की पूजा करने से भूत-प्रेत दूर भागते हैं।


~ वैज्ञानिक तर्क- इसकी पूजा इसलिये की जाती है, ताकि इस पेड़ के प्रति लोगों का सम्मान बढ़े और उसे काटें नहीं पीपल एक मात्र ऐसा पेड़ है, जो रात में भी ऑक्सीजन प्रवाहित करता है |

~~~~~~~~~~~~~~~

* दक्ष‍िण की तरफ सिर करके सोना: दक्ष‍िण की तरफ कोई पैर करके सोता है तो लोग कहते हैं कि बुरे सपने आयेंगे भूत प्रेत का साया आयेगा,आदि, इसलिये उत्तर की ओर पैर करके सोयें |


~ वैज्ञानिक तर्क- जब हम उत्तर की ओर सिर करके सोते हैं, तब हमारा शरीर पृथ्वी की चुंबकीय तरंगों की सीध में आ जाता है। शरीर में मौजूद आयरन यानी लोहा दिमाग की ओर संचारित होने लगता है इससे अलजाइमर, परकिंसन, या दिमाग संबंधी बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है यही नहीं रक्तचाप भी बढ़ जाता है |


~~~~~~~~~~~~~~~

* सूर्य नमस्कार: हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते नमस्कार करने की परम्परा है।


~ वैज्ञानिक तर्क- पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब आंखों में पहुंचती हैं तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है |


~~~~~~~~~~~~~~~

* सिर पर चोटी: हिंदू धर्म में ऋषि मुनी सिर पर चुटिया रखते थे आज भी लोग रखते हैं |

~ वैज्ञानिक तर्क- जिस जगह पर चुटिया रखी जाती है उस जगह पर दिमाग की सारी नसें आकर मिलती हैं इससे दिमाग स्थ‍िर रहता है और इंसान को क्रोध नहीं आता सोचने की क्षमता बढ़ती है ।

~~~~~~~~~~~~~~~
* व्रत रखना कोई भी पूजा-पाठ, त्योहार होता है तो लोग व्रत रखते हैं ।

~ वैज्ञानिक तर्क- आयुर्वेद के अनुसार व्रत करने से पाचन क्रिया अच्छी होती है और फलाहार लेने से शरीर का डीटॉक्सीफिकेशन होता है यानी उसमें से खराब तत्व बाहर निकलते हैं शोधकर्ताओं के अनुसार व्रत करने से कैंसर का खतरा कम होता है हृदय संबंधी रोगों,मधुमेह,आदि रोग भी जल्दी नहीं लगते |
 
~~~~~~~~~~~~~~~
* चरण स्पर्श करना हिंदू मान्यता के अनुसार जब भी आप किसी बड़े से मिलें तो उसके चरण स्पर्श करें यह हम बच्चों को भी सिखाते हैं ताकि वे बड़ों का आदर करें |

~ वैज्ञानिक तर्क- मस्त‍िष्क से निकलने वाली ऊर्जा हाथों और सामने वाले पैरों से होते हुए एक चक्र पूरा करती है इसे कॉसमिक एनर्जी का प्रवाह कहते हैं इसमें दो प्रकार से ऊर्जा का प्रवाह होता है
या तो बड़े के पैरों से होते हुए छोटे के हाथों तक या फिर
छोटे के हाथों से बड़ों के पैरों तक |

~~~~~~~~~~~~~~~
* क्यों लगाया जाता है सिंदूर: शादीशुदा हिंदू महिलाएं सिंदूर लगाती हैं |
 
~ वैज्ञानिक तर्क- सिंदूर में हल्दी,चूना और मरकरी होता है, यह मिश्रण शरीर के रक्तचाप को नियंत्रित करता है इससे स्ट्रेस कम होता है।
 
~~~~~~~~~~~~~~~
* तुलसी के पेड़ की पूजा: तुलसी की पूजा करने से घर में समृद्ध‍ि आती है, सुख शांति बनी रहती है।

~ वैज्ञानिक तर्क- तुलसी इम्यून सिस्टम को मजबूत करती है, लिहाजा अगर घर में पेड़ होगा तो इसकी पत्त‍ियों का इस्तेमाल भी होगा और उससे बीमारियां दूर होती हैं।



~~~~~~~~~~~~~~~